100+ Best Rahat Indori Shayari in Hindi

Rahat indori shayari

हेलो दोस्तों,
आप सब लोग कैसे हो ?
क्या आप Famous poet Dr. Rahat Indori को जानते हो? 

क्युकी आज में आप लोगो के लिए उनकी द्वारा लिखी गयी हिंदी शायरी को प्रस्तुत किया हु | 

दोस्तों इस पोस्ट में मैंने Rahat Indori shayari in hindi का बहुत ही सुन्दर और शानदार शायरी का collection प्रस्तुत किया हु

जो बहुत ही famous शायरी है, में आशा करूँगा ये शायरी collection आपको जरूर पसंद आएगा |

जैसा की आप जानते हो की राहत इन्दोरी एक बहुत ही मशहूर उर्दू , हिंदी शायर थे |

उनका जन्म इंदौर 1 जनवरी सन 1950 में हुआ था | उन्होंने Bhoj Open University, मध्य प्रदेश में उर्दू  लिटरेचर से Phd किया है |

इनके पिता का नाम राफतुल्लाह कुरैशी था और माता का नाम मक़बूल  उन  निशा  बेगम  था | 

Best Rahat Indori Shayari in Hindi


अपने जीवन काल में उन्होंने बहुत सारी हिंदी शायरी लिखी है | पर उनमे से कुछ खास शायरी आपके के लिए लाया हु, जिन्हे पढ़ कर आप भी अपना दिल बहला सकते है |

Best Rahat Indori shayari in hindi

उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,

मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,

मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,

यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

मेरे अश्कों ने कई आँखों में जल-थल कर दिया 

एक पागल ने बहुत लोगों को पागल कर दिया 

अपनी पलकों पर सजा कर मेरे आँसू आप ने 

रास्ते की धूल को आँखों का काजल कर दिया 

मैं ने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा 

उस ने धोका दे के ये क़िस्सा मुकम्मल कर दिया 

ये हवाएँ कब निगाहें फेर लें किस को ख़बर 

शोहरतों का तख़्त जब टूटा तो पैदल कर दिया 

देवताओं और ख़ुदाओं की लगाई आग ने 

देखते ही देखते बस्ती को जंगल कर दिया 

ज़ख़्म की सूरत नज़र आते हैं चेहरों के नुक़ूश 

हम ने आईनों को तहज़ीबों का मक़्तल कर दिया 

शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है 

जिस ने अच्छे-ख़ासे इक शायर को पागल कर दिया

-राहत इंदौरी

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शराब छोड़ दी तुमने ,कमाल है ठाकुर

मगर ये हाथ में क्या लाल लाल है ठाकुर

किसी गरीब दुपट्टे का कर्ज़ है इस पर ,

तुम्हारे पास जो रेशम कि शाल है ठाकुर

तुम्हारी लाल हवेली छुपा न पाएगी ,

हमे ख़बर है कहाँ कितना माल है ठाकुर

दुआ को नन्हे गुलाबों ने हाथ उठाये है,

बस अब यहाँ से तुम्हारा जवाल है ठाकुर

-राहत इंदौरी

Famous shayari of Rahat Indori

बोल था सच तो ज़हर पिलाया गया मुझे

अच्छाइयों ने मुझे गुनहगार कर दिया 

दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो हैं

ऐ मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया

ये ज़िन्दगी सवाल थी जवाब माँगने लगे

फरिश्ते आ के ख़्वाब मेँ हिसाब माँगने लगे

इधर किया करम किसी पे और इधर जता दिया

नमाज़ पढ़के आए और शराब माँगने लगे

सुख़नवरों ने ख़ुद बना दिया सुख़न को एक मज़ाक

ज़रा-सी दाद क्या मिली ख़िताब माँगने लगे

दिखाई जाने क्या दिया है जुगनुओं को ख़्वाब मेँ

खुली है जबसे आँख आफताब माँगने लगे

-राहत इंदौरी

ज़मीर बोलता है ऐतबार बोलता है

मेरी ज़ुबान से परवरदिगार बोलता है

मैं मन की बात बहुत मन लगा के सुनता हूँ

ये तू नहीं है तेरा इश्तेहार बोलता है

कुछ और काम उसे याद ही नही शायद

मगर वो झूठ बहुत शानदार बोलता है

तेरी ज़ुबान कतरना बहुत ज़रूरी है

तुझे ये मर्ज़ है तू बार बार बोलता है

-राहत इंदौरी

उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब

चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब

जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे रूठे हैं

चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब

मुझसे बिछड़ कर वह भी कहां अब पहले जैसी है

फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब 

-राहत इंदौरी

Top Rahat Indori Shayari

मेरे खलुस की गहराई से नहीं मिलते,

ये झूठे लोग है सचाई से नहीं मिलते

मोहब्बतों का सबक दे रहे है दुनिया को

जो ईद अपने सगे भाई से नहीं मिलते।

– राहत इन्दोरी

इश्क़ में जीत के आने के लिये काफी हूँ

मैं अकेला ही ज़माने के लिये काफी हूँ

हर हकीकत को मेरी ख्वाब समझने वाले

मैं तेरी नींद उड़ाने के लिये काफी हूँ

ये अलग बात के अब सुख चुका हूँ फिर भी

धूप की प्यास बुझाने के लिये काफी हूँ

बस किसी तरह मेरी नींद का ये जाल कटे

जाग जाऊँ तो जगाने के लिये काफी हूँ

जाने किस भूल भुलैय्या में हूँ खुद भी लेकिन

मैं तुझे राह पे लाने के लिये काफी हूँ

डर यही है के मुझे नींद ना आ जाये कहीं

मैं तेरे ख्वाब सजाने के लिये काफी हूँ

ज़िंदगी…. ढूंडती फिरती है सहारा किसका ?

मैं तेरा बोझ उठाने के लिये काफी हूँ

मेरे दामन में हैं सौ चाक मगर ए दुनिया

मैं तेरे एब छुपाने के लिये काफी हूँ

एक अखबार हूँ औकात ही क्या मेरी मगर

शहर में आग लगाने के लिये काफी हूँ

मेरे बच्चो…. मुझे दिल खोल के तुम खर्च करो

मैं अकेला ही कमाने के लिये काफी हूँ

-राहत इंदौरी

बुलाती है मगर जाने का नईं

ये दुनिया है इधर जाने का नईं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर

मगर हद से गुजर जाने का नईं

सितारें नोच कर ले जाऊँगा

में खाली हाथ घर जाने का नईं

वबा फैली हुई है हर तरफ

अभी माहौल मर जाने का नईं

वो गर्दन नापता है नाप ले

मगर जालिम से डर जाने का नईं

-राहत इंदौरी

Hindi shayari of Rahat Indori
   
जा के ये कह दो कोई शोलो से, 
  चिंगारी से फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से

 बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए 

हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।

-राहत इंदौरी

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है

कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है

जो जुर्म करते हैं इतने बुरे नहीं होते

सजा न देके अदालत बिगाड़ देती है

मिलाना चाहा है इंसा को जो भी इंसा से

तो सारे काम सियासत बिगाड़ देती है

हमारे पीर तकीमीर ने कहा था कभी

मियां ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है

-राहत इंदौरी

हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ' नहीं देंगे

ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे

हमें तो सिर्फ़ जगाना है सोने वालों को

जो दर खुला है वहाँ हम सदा नहीं देंगे

रिवायतों की सफ़ें तोड़ कर बढ़ो वर्ना

जो तुम से आगे हैं वो रास्ता नहीं देंगे

यहाँ कहाँ तिरा सज्जादा आ के ख़ाक पे बैठ

कि हम फ़क़ीर तुझे बोरिया नहीं देंगे

शराब पी के बड़े तजरबे हुए हैं हमें

शरीफ़ लोगों को हम मशवरा नहीं देंगे

-राहत इंदौरी

Popular Rahat indori shayari

कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, 

कभी धुए की तरह परबतों से उड़ते हैं, 

ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी, 

के हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं...

-राहत इंदौरी

शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया 

कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया 

दरवाज़ों ने अपनी आँखें नम कर लीं 

दीवारों ने अपना सीना तान लिया 

प्यास तो अपनी सात समुंदर जैसी थी 

नाहक़ हम ने बारिश का एहसान लिया 

मैं ने तलवों से बाँधी थी छाँव मगर 

शायद मुझ को सूरज ने पहचान लिया 

कितने सुख से धरती ओढ़ के सोए हैं 

हम ने अपनी माँ का कहना मान लिया

-राहत इंदौरी

ये ख़ाक-ज़ादे जो रहते हैं बे-ज़बान पड़े 

इशारा कर दें तो सूरज ज़मीं पे आन पड़े 

सुकूत-ए-ज़ीस्त को आमादा-ए-बग़ावत कर 

लहू उछाल कि कुछ ज़िंदगी में जान पड़े 

हमारे शहर की बीनाइयों पे रोते हैं 

तमाम शहर के मंज़र लहू-लुहान पड़े 

उठे हैं हाथ मिरे हुर्मत-ए-ज़मीं के लिए 

मज़ा जब आए कि अब पाँव आसमान पड़े 

किसी मकीन की आमद के इंतिज़ार में हैं 

मिरे मोहल्ले में ख़ाली कई मकान पड़े 

-राहत इंदौरी

Rahat Indori Shayari in hindi

 अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,

ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,

फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,

ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।

जा के ये कह दे कोई शोलों से चिंगारी से 

फूल इस बार खिले हैं बड़ी तय्यारी से 

अपनी हर साँस को नीलाम किया है मैं ने 

लोग आसान हुए हैं बड़ी दुश्वारी से 

ज़ेहन में जब भी तिरे ख़त की इबारत चमकी 

एक ख़ुश्बू सी निकलने लगी अलमारी से 

शाहज़ादे से मुलाक़ात तो ना-मुम्किन है 

चलिए मिल आते हैं चल कर किसी दरबारी से 

बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए 

हम ने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से 

-राहत इंदौरी

Some last words for Rahat Indori Shayari

पोस्ट के अंत मे, मै आपसे यही पूछना चाहूंगा की आपको हमरे हमारे द्वारा प्रस्तुत की गयी Rahat Indori Shayari in hindi  कैसी लगी |

मै यही आशा करूँगा की आप लोगो को यह जरूर पसंद आयी होगी | अगर ऐसा है तो आप इसे शेयर करना न भूले क्युकी मै ऐसी ही पोस्ट आपके लिए लाता रहूँगा| 

Some best hindi shayari for you


Thanks for visiting my blog.

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